जब एक औरत माँ बनने वाली होती है, वो समय उसकी जिंदगी का सबसे रोमांचित समय होता है । एक ही पल में जैसे उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है । भावनाओं में बदलाव, विचारो में बदलाव, खाने-पीने में बदलाव, घुमने-फिरने में बदलाव और आस-पास का माहोल भी अचानक बदला-बदला महसूस होता है । परिवार वाले भी ध्यान रखने के लिए सलाह-सूचन देना शुरू कर देते है । जाने-अनजाने यह समय अद्भूत सुख के साथ कुछ उलसने भी लेकर आता है । शरीर में होनेवाले असाधारण । बदलाव की वजह से बेचेनी, स्नायुओ में खिंचाव जैसी छोटी-मोटी शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ भी रहेती है ।

यह समय चिंता का नहीं, बल्कि आनेवालें बच्चे के सर्वांगी विकास के लिए चिंतन करने का है । क्योंकि विज्ञान भी कहता है कि बच्चे के दिमाग का ८०÷ विकास माता के गर्भ से ही होता है । गर्भ में बेटा है या बेटी यह चिंता किए बिना, आनेवाला बच्चा मेरी संतान है जो अभी मेरे गर्भ में पल रहा है यह अलौकिक सुख का अनुभव करने का है । गर्भावस्था के इस सुंदर सफर में माँ बननेवाली हर स्त्री उच्चकोटी की संतान को जन्म दे, उसके लिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के ध्यान रखने की बहोत जरुरत है ।
जिस तरह हमारे घर के निर्माण करने में प्लानिंग और सभी सामग्री जैसे की सिमेन्ट, पाणी, इंट की जरुरत होती है वैसे ही गर्भ में पल रहे बच्चे के सर्वोत्तम विकास के लिए उच्च विचारो, समतोल आहार, ध्यान, योग और कुछ नियमों का पालन करने की जरुरत होती है ।सचमुच वह अद्भूत समय है, यह गर्भावस्था । नाजुक परिस्थिति में भी अलौकिक सुख का अनुभव कने का मौका इश्वर ने सिर्फ स्त्री को ही दिया है ।
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